Hindi Essay On Arvind Kejriwal। अरविंद केजरीवाल पर हिंदी में निबंध
अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 में हरियाणा के हिसार शहर में हुआ था। उन्होंने 1989 में आईआईटी खड़कपुर से यांत्रिक अभियंत्रिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। इसके बाद 1992 मैं उन्होंने आइआरएस क्लियर किया और उन्हें दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त किया गया था। जल्दी ही उन्होंने महसूस किया कि सरकार में भ्रष्टाचार के कारण किसी भी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। उन्होंने अपनी आधिकारिक स्थिति पर रहते हुए ही भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम की शुरुआत कर दी।
भारत में सूचना का अधिकार लाने के लिए भी उन्होंने जमीनी स्तर पर काफी प्रयास किया था, इसके लिए उन्हें वर्ष 2006 में "रमन मैग्सेसे पुरस्कार" से सम्मानित किया गया था। उन्होंने आम आदमी पार्टी के नाम से एक नए राजनीतिक दल की स्थापना की थी।
इसके बाद फरवरी 2006 में उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था और 2011 में अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे और किरण बेदी के साथ मिलकर 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन 'का गठन किया था, जिसने जन लोकपाल बिल के लिए आंदोलन किया था। अरविंद केजरीवाल की सूचना के अधिकार के माध्यम से प्रत्येक नागरिक को अपनी सरकार से प्रश्न पूछने की प्रेरणा देते रहे हैं।
26 नवंबर 2012 को उन्होंने आम आदमी पार्टी की स्थापना की थी। उन्होंने बाकायदा गांधी टोपी पहनी जिसे अब 'अन्ना टोपी 'भी कहा जाता है,उन्होंने टोपी पर लिखवाया "मैं आम आदमी हूं "। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने सन 2013 में दिल्ली के 70 विधानसभा सीटों में से 28 सीटें जीतकर प्रदेश की राजनीति में खलबली मचा दी। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसी चुनाव में उन्होंने दिल्ली की तीन बार लगातार मुख्यमंत्री रही श्रीमती शीला दीक्षित जी को काफी भारी मतों से हराया था। अरविंद केजरीवाल के नेतृव्य में फरवरी 2015 के चुनाव में उनकी पार्टी ने 70 में से रिकॉर्ड 67 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया और वे दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री चुने गए।
आईआईटी खड़कपुर से ग्रेजुएट अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सातवें मुख्यमंत्री बने थे। उनकी पार्टी का मुख्य मुद्दा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना है। परंपरागत राजनीति से अलग उनकी सादी और ईमानदार छवि सभी लोगों को बहुत आकर्षित करती रही है। उन पर अन्ना हजारे के आंदोलन का गलत इस्तेमाल करने के आप भी लगते रहे हैं। उनके कुछ साथी उनको उनके राजनीतिक जीवन में बीच में ही साथ छोड़कर चले गए। वास्तव में शुरुआती दौर में उनके प्रति जो लोगों का प्यार था वह अब नहीं है इसके बावजूद भी एक बड़ा तबका आज उनके ऊपर भरोसा करता है। अरविंद केजरीवाल आज की राजनीति में एक आम चेहरा है जो यह प्रेरणा देता है कि अगर सच में मजबूती इरादे हो तो जनता साथ देती है और राजनीतिक पृष्ठभूमि ने होने पर भी मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचा देती है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें